1. निवेश की ज़रूरत
1.1 कोई निवेश क्यों करे?
इस सवाल का जवाब देने से पहले ये समझते हैं कि अगर निवेश नहीं करेंगे तो क्या हो सकता है। मान लीजिए कि आप 50,000 रुपये हर महीने कमाते हैं, और 30,000 रुपये आपका महीने का खर्च है। आपकी मासिक बचत 20,000 रुपये रहती है। इस उदाहरण को आसान रखने के लिए अभी इसमें इनकम टैक्स को नहीं जोड़ेंगे। अब ये मान लीजिए कि-
- आपकी कंपनी कर्मचारियों का बहुत ख्य़ाल रखती है और हर साल तनख्वाह 10 परसेंट बढ़ाती है
- जीवन यापन खर्च – कॉस्ट ऑफ लिविंग (cost of living) हर साल 8 परसेंट से बढ़ता है
- आप 30 साल के हैं और 50 पर रिटायर होना चाहते हैं, तो कमाने के लिए आपके पास 20 साल है
- रिटायरमेंट के बाद आप किसी भी तरह का काम नहीं करेंगे
- आपके खर्चे नहीं बदलेंगे
- हर महीने जो 20,000 बचते हैं, वो कैश या नकद के रूप में आपके पास रहता है
आप अगर ऊपर दिए गए नंबर को देखेंगे तो आपको समझ आएगा कि 20 साल के बाद हालात डरावने हो सकते हैं।
- 20 साल की मेहनत से आप सिर्फ 1 करोड़ 70 लाख ही जोड़ पाए
- क्योंकि आपके खर्चे फिक्स थे, तो आपने अपना रहने का तौर-तरीका भी नहीं बदला। शायद आपने कई अकांक्षाओं जैसे बड़ी गाड़ी, बड़ा घऱ ,घूमना फिरना को दबा दिया
- रिटायरमेंट के बाद अगर खर्चे 8 परसेंट की दर से बढ़ेंगे, तो 1.7 करोड़ से आपके मोटे तौर पर 8 साल निकल जाएँगे, और उसके बाद क्या करेंगे, ये आप सोच लें।
क्या करेंगे आप 8 साल के बाद, जब पूरी सेविंग निकल जाएगी। ज़िदगी की गाड़ी कैसे चलेगी? क्या कोई तरीका है जिससे 20 साल में 1.7 करोड़ से कहीं ज्यादा रकम जोड़ी जा सके?
उदाहरण स्थिती को थोड़े बदलाव के साथ देखते हैं। मान लीजिए कि आपने 20 हजार नकद के रूप में नहीं रखा बल्कि इसे निवेश किया एक ऐसे विकल्प में जो 12 परसेंट हर साल रिटर्न देता है। उदाहरण के तौर पर- पहले साल में आपने बचाए 2,40,000, जिसे आपनें 12 परसेंट की दर पर निवेश किया 20 साल के लिए, और ये रुपये 20 साल में हो जाएँगे 20,67,063
जो पैसे हर महीने बचते हैं, उसे निवेश करने से आपके पैसे तेज़ रफ्तार से बढ़ते हैं, और नतीजा दिखता है- अच्छी खासी रकम के रूप में। चार्ट में देखिए 20 साल के बाद आपके पास पहले की तुलना में 1.76 करोड़ के बजाए 4.26 करोड़ रुपये जुड़ जाएंगे जो 2.4 गुणा बढ़त है। और इस बढ़त का साफ मतलब है कि रिटायरमेंट के बाद आपकी ज़िंदगी ज्यादा सुकून से कटेगी।
अब आते हैं, उस सवाल पर जो इस अध्याय का शीर्षक है- निवेश क्यों करना चाहिए। कुछ बहुत ज़रूरी वजहे हैं-
- महंगाई दर से निपटने के लिए- बढ़ती मंहगाई हमारे पैसे की वैल्यू कम करती है। निवेश करने से इस समस्या से निपटा जा सकता है।
- बड़ी पूँजी जोड़ने के लिए- ऊपर जो उदाहरण दिया गया है, उससे एकदम साफ है कि कैसे निवेश करने से रिटायरमेंट तक आपके पास एक बहुत बड़ी रकम जमा हो सकती है, लेकिन सिर्फ रिटायरमेंट के लिए ही नहीं, निवेश करने से और भी बड़े महत्वपूर्ण काम जैसे बच्चे की पढ़ाई, शादी, घऱ खरीदना, इस तरह के काम के लिए भी पैसे आसानी से जोड़े जा सकते हैं।
- आपकी वित्तीय अकांक्षाओं, ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए
1.2 कहाँ निवेश करें?
अब हमें ये पता चल गया है कि निवेश करना क्यों ज़रूरी है। अगला सवाल हमारे मन में आता है कि निवेश कहाँ करना चाहिए, और किस तरह के रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए। निवेश करने में सबसे पहले आपको चुनना होता है – एसेट क्लास, जो आपके रिस्क लेने की क्षमता से मेल खाता हो। रिटर्न और रिस्क के हिसाब से निवेश को अलग अलग कैटेगरी या श्रेणी में बाँटा जाता है। इन श्रेणियों को अंग्रेजी में एसेट क्लास कहते हैं। कुछ जाने माने एसेट क्लास के नाम नीचे दिए गए हैं-
- फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स
- इक्विटी
- रियल एस्टेट
- कमोडिटी ( प्रेशियस मेटल – बहुमूल्य धातु)
फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स
निवेश के इस विकल्प में जो मूलधन ( प्रिंसिपल अमाउंट) होता है, वो सुरक्षित रहता है। इस निवेश पर रिटर्न आपको ब्याज के तौर पर मिलता है। ब्याज आपको सालाना, छह महीने या तीन महीने पर मिल सकता है। निवेश की मियाद खत्म होने पर, जिसे निवेश का मैच्योरिटी पीरियड भी कहते हैं, पूँजी ( कैपिटल) आपको वापस दे दी जाती है।
फिक्सड इनकम निवेश के विकल्प
- बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट
- सरकारी बॉन्ड (जो सरकार जारी करती है)
- सरकारी कंपनियों के बॉन्ड
- कॉरपोरेट बॉन्ड
जून 2014 के हिसाब से फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स का रिटर्न 8 से 11 परसेंट के बीच में होता है।
इक्विटी
इक्विटी में निवेश का मतलब है शेयर बाज़ार में लिस्ट हुई कंपनियों के शेयर खरीदना। शेयर की ट्रेडिंग या खरीद-बिक्री दोनों स्टॉक एक्सचेंज – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange- BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange- NSE) पर होती है।
जब आप इक्विटी में निवेश करते हैं, तो पूँजी या कैपिटल की गारंटी तो नहीं होती लेकिन इक्विटी में जो रिटर्न मिलता है, वो काफी आकर्षक हो सकता है। भारतीय शेयर बाज़ार का रिटर्न पिछले 15 साल में 14-15 परसेंट CAGR ( Compound Annual Growth Rate) के आस पास रहा है।
कई जानी-मानी भरोसेमंद कंपनियों ने लंबे वक्त में 20 परसेंट CAGR तक की कमाई करवाई है। लेकिन ऐसी कंपनियों के ढ़ूँढने के लिए कुशलता, मेहनत और सब्र की सख्त ज़रूरत होती है।
अगर आप इक्विटी में निवेश 1 साल से ज्यादा अवधि के लिए करते हैं तो निवेश से निकलने पर 1 लाख रुपये तक का मुनाफा टैक्स फ्री रहता है। 1 लाख के ऊपर की कमाई पर 10 परसेंट टैक्स लगता है। 1 अप्रैल 2018 से पहले ये कमाई पूरी तरह से टैक्स फ्री थी। लेकिन अभी भी ये टैक्स रेट बाकी एसेट क्लास के मुकाबले कम है।
रियल एस्टेट
रियल एस्टेट के तहत आप निवेश मकान, दुकान या ज़मीन में करते हैं। इस निवेश से दो तरह की कमाई हो सकती है। एक कमाई रेंट या किराए के रूप में हो सकती है, दूसरी कमाई प्रॉपर्टी की कीमत में बढ़ोतरी से होती है। लेकिन इस निवेश में बहुत पेचीदगी और उलझन होती है। वक्त बहुत लग सकता है और साथ ही निवेश के लिए काफी बड़ी रकम की ज़रूरत होती है। रियल एस्टेट का रिटर्न नापने का कोई आधिकारिक फॉर्मूला नहीं है इसलिए इस पर टिप्पणी करना मुश्किल है।
कमोडिटी- बुलियन
सोना और चांदी निवेश का जाना-माना विकल्प है। लंबे वक्त में सोना और चांदी, दोनों की कीमत में इज़ाफा होता है। इन दोनों में 20 साल तक के निवेश से लगभग 8 परसेंट CAGR तक का रिटर्न मिला है। इनमें निवेश गहने खरीद कर किया जा सकता है या फिर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड ( Exchange Traded Fund- ETF ) के ज़रिए।
हमने जो शुरूआत में उदाहरण दिया था, अब उसी को ध्यान में रखते हुए ये पता करने की कोशिश करते हैं कि अगर 20 साल के लिए कोई फिक्स्ड इनकम, इक्विटी और बुलियन में निवेश करता है, तो कितनी रकम जुड़ेगी।
- अगर फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रुमेंट में निवेश किया और रिटर्न औसतन 9 परसेंट सालाना मिला तो 3.3 करोड़ रुपये मिलेंगे
- इक्विटी में अगर 20 साल के लिए निवेश किया और रिटर्न औसतन 15 परसेंट सालाना हुआ तो 5.4 करोड़ रुपये
- बुलियन यानि सोने-चांदी में निवेश में रिटर्न 8 परसेंट सालाना का मान कर चलें तो 3.09 करोड़ रुपये
तो साफ है कि इक्विटी में निवेश सबसे बढ़िया रिटर्न देता है, खासकर तब जब आप लंबे वक्त के लिए निवेश करते हैं।
निवेश से जुड़ी ज़रूरी बातें-
जब निवेश करते हैं तो ये ध्यान रखना ज़रूरी है कि सारा निवेश एक ही एसेट क्लास में न हो। निवेश को अलग अलग एसेट क्लास में बाँटना बहुत ज़रूरी है, और इस प्रक्रिया को एसेट एलोकेशन कहते हैं।
उदाहरण के लिए, 23-25 साल की उम्र वाले युवा प्रोफेशनल ज्यादा रिस्क ले सकते हैं क्योंकि उनकी उम्र कम है और निवेश के लिए वक्त ज्यादा है। ऐसे में उन्हें कुल निवेश का लगभग 70 परसेंट इक्विटी में लगाना चाहिए, 20 परसेंट बुलियन में और बाकी फिक्स्ड इनकम निवेश में।
इसी तरह जो निवेशक रिटायर हो चुका है, कायदे से उसके कुल निवेश का 80 परसेंट फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रुमेंट में, 10 परसेंट इक्विटी में और 10 परसेंट बुलियन में होना चाहिए। ये जो रेश्यो है कि किस एसेट क्लास में कितना परसेंट निवेश होना चाहिए, वो निवेशक के रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है।
1.3 निवेश शुरू करने के पहले किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
निवेश करना ज़रूरी है लेकिन निवेश शुरू करने के पहले ये बातें जान और समझ लें –
- रिस्क या ज़ोखिम और रिटर्न जुड़े हुए हैं। ज्यादा रिस्क होगा, तो ज्यादा रिटर्न होने की संभावना है। कम रिस्क होगा, तो रिटर्न भी कम होगा।
- अगर चाहते हैं कि निवेश किया गया मूलधन सुरक्षित रहे, तो फिक्सड इनकम वाले निवेश के विकल्प बेहतर होगें। इनमें रिस्क कम होता है। लेकिन ध्यान रखें कि लंबे वक्त में महंगाई दर की वजह से जो भी रकम आपके हाथ में आएगी, उसकी वैल्यू कम होगी। उदहारण के तौर पर – बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट आपको 9 परसेंट रिटर्न देता है, और महंगाई दर अगर 10 परसेंट है , तो आपको 1 परसेंट का नुकसान हो रहा है। फिक्स्ड इनकम वाले विकल्प उनके लिए हैं, जिनकी रिस्क लेने की क्षमता बहुत कम होती है।
- महंगाई से निपटने में आपकी मदद करेगा इक्विटी। अगर पुराना डेटा निकाल कर देखें तो ये पता चलता है कि लंबे वक्त तक इक्विटी में निवेश करने पर 14-15 परसेंट तक का रिटर्न मिलता है। लेकिन ध्यान रखें कि इक्विटी में निवेश के साथ जोखिम भी जुड़ा है।
- ज़मीन जायदाद या फिर रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए एक साथ बड़ी रकम की ज़रूरत पड़ती है, और इस तरह के निवेश से निकलने में काफी वक्त लगता है। ज़मीन-जायदाद आप कभी भी खरीद या बेच नहीं सकते हैं। आपको खरीदने और बेचने के लिए सही वक्त पर सही खरीददार और बेचने वाला चाहिए होगा।
- सोना- चांदी निवेश के सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं, लेकिन इनका रिटर्न बहुत ज्यादा आकर्षक नहीं है।
इस अध्याय की ज़रूरी बातें
- अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए निवेश करें।
- जो रकम आप अपने लक्ष्य के लिए जोड़ना चाहते हैं वो निवेश के विकल्प के रिटर्न पर निर्भर करती है। दो विकल्पों के रिटर्न के बीच में थोड़ा सा भी अंतर रकम पर काफी असर डाल सकता है।
- ऐसा विकल्प चुनें जो आपके रिस्क या जोखिम लेने की क्षमता के मुताबिक हो।
- अगर आप महंगाई दर के असर से सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो आपके पूरे निवेश का कुछ हिस्सा इक्विटी में होना ज़रूरी है।
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